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सोनम, मुस्कान और शिवानी… अपराधी अगर ‘महिला’ हो तो समाज क्यों देखता है अलग नजर से?


नई दिल्ली. महिला और ‘पति की कथित हत्यारिन’ की दोहरी पहचान के बीच झूलती ‘‘सोनम, मुस्कान, शिवानी, रवीना, राधिका…’’ जैसी महिलाओं ने पिछले कुछ महीनों में न केवल सुर्खियां और बदनामी बटोरी बल्कि नारीत्व एवं अपराध के बारे में पारंपरिक धारणाओं को भी चुनौती दी है. देश के विभिन्न हिस्सों की ये युवतियां राष्ट्रीय सुर्खियों से दूर उस वक्त तक सामान्य जिंदगी जी रही थीं, जब तक कि उन्हें अपने पतियों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार नहीं कर लिया गया. वे छोटे शहरों की महिलाएं थीं, जिन्होंने निर्मम तरीके से घिसे-पिटे अंदाज को समाप्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप ये सभी सनसनीखेज सुर्खियां बनीं और इन्हें लेकर जिज्ञासा पैदा हुई. इन घटनाओं के कारण महिला-विरोधी ‘मीम’ और चुटकुलों को बढ़ावा मिला.


